आप सभी को तहे-दिल से नमस्कार! हाँ, मैं काफ़ी समय से ब्लॉग-जगत से दूर थी, वाक़ई एक लम्बे अरसे से, कम-से-कम ब्लॉगिंग के मामले में तो बहुत लंबे अरसे से।इन गुज़रे दो सालों में मैं काम-काज में मसरूफ़ रही और मुझे लगता है कि इस दौरान मैंने लेखन और चिन्तन-मनन में भी एक विराम लिया। हम सभी लोग जो अक्सर लिखते रहते हैं, वे जानते हैं कि लेखन एक रचनात्मक काम है जो अपनी ही रफ़्तार से चलता है, अपनी ही लहर में और अपने ही मनमौजी तरीक़े से। आप इसपर अपना हुक़्म नहीं चला सकते। यह तभी होता है, जब इसे होना होता है।
अगर घटनाओं की बात करें, तो पिछले दो सालों में जबसे मेरी क़लम थमी है काफ़ी कुछ घटित हुआ है। अमेरिकी फ़ौजियों ने आख़िरकार ईराक़ी सरज़मीन को छोड़ दिया है और अपने पीछे वे बर्बादी का ऐसा मंज़र छोड़ गए हैं, जिसका अन्त नज़र नहीं आता। मिस्र ने हाल में इतिहास के पन्नों पर नई इबारत लिखी है और लीबिया इसकी कगार पर है। पाकिस्तान मुशर्रफ़ की तानाशाही से निकलकर और भी ज़्यादा अस्तव्यस्तता की ओर बढ़ चुका है... हिंसा और राजनीतिक हत्याएँ रोज़मर्रा की बात हो गई हैं। इसी दौरान श्रीलंका ने प्रभाकरन के युग और भयभीत करने वाले एलटीटीई का अन्त देखा है, जबकि नेपाल अभी भी लोकतन्त्र की ओर जाने वाले मुश्किलों से भरे रास्ते में लड़खड़ा रहा है और संघर्ष कर रहा है। हमने सैन्य और आर्थिक तौर पर चीन को और भी अधिक ताक़तवर होते देखा है, जबकि अमेरिका बड़े पैमाने पर मध्य-पूर्व एशिया व चीन में आए बदलावों और घरेलू मोर्चे पर बेरोज़गारी जैसी समस्याओं के चलते तनावग्रस्त है, और राष्ट्रपति ओबामा की लोकप्रियता सबसे निचले स्तर को छू रही है।
अपने देश में हमने राजनीति और नौकरशाही के गलियारों में घटित होते हर काण्ड के बाद भ्रष्टाचार को भयावह तरीक़े से बढ़ते हुए देखा है। हमने कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गनाइज़िंग कमेटी की कारगुज़ारियों से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा को दांव पर लगते देखा है। हमने २जी काण्ड को देश के लोकतन्त्र की बुनियाद को हिलाते हुए देखा है, जिसने राजनेताओं, नौकरशाहों, उद्योगपतियों और मीडिया लॉबीइस्टों के बीच फल-फूल रही सांठ-गांठ को उजागर करके रख दिया। हमने लोकतन्त्र के केन्द्र-बिन्दु देश के प्रधानमन्त्री को सरकार में घुन की तरह लगे भ्रष्टाचार और इससे जुड़े हर मामले को एक मूक दर्शक की तरह निहारते देखा है, जिस दौरान हर काण्ड में उनके कई मंत्री और मुख्यमंत्री गले तक धंसते नज़र आए। साथ ही हमने उन्हें निरीह भाव से माफ़ी मांगते और सरकार के खस्ता हालात व उससे उठती सड़ांध पर लाचार होते भी देखा है। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर वाक़ई बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक हालात हैं।
तो क्या आशा की कोई किरण नज़र नहीं आती, क्या ज़रा भी उम्मीद नहीं है? मुझे शिद्दत से महसूस होता है कि इसका जवाब ख़ुद हमारे भीतर ही है। क्या वे बिना हथियारों के सड़कों पर जद्दोजहद करते मिस्र के आम लोग नहीं थे जो बदलाव की बयार लाए और उस देश में क्रान्ति की अलख जगाई? और यहाँ भी क्या यह आम आरटीआई कार्यकर्ताओं का अदम्य साहस नहीं है, जो शान्त और दृढ़ भाव से हमारे भ्रष्ट प्रतिनिधियों और इस प्रदूषित व्यवस्था से सवाल पूछ रहे हैं और उनकी पड़ताल कर रहे हैं? यह लिखने की ज़रूरत नहीं है कि इन पड़तालों ने हमारे दौर के सबसे चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ये निर्भीक स्त्री-पुरुष बिना किसी निहित स्वार्थ के ऐसा कर रहे हैं, और कई बार ख़ुद अपनी जान की क़ीमत पर भी। महाराष्ट्र में ऐसे कार्यकर्ताओं की हत्या इतनी आम हो गई है कि वहाँ सरकार को एक पुलिस कमेटी गठित करनी पड़ी, जो इन हिम्मतवर लोगों की आपराधिक शिकायतों और सुरक्षा की अर्ज़ियों पर ग़ौर करे। उम्मीद है कि दूसरे राज्य भी इससे कुछ सीखेंगे और अपने यहाँ भी ऐसा ही करेंगे, ताकि पार्श्व से आती ये आवाज़ें अपनी साहस और सामाजिक सक्रियता के यह यात्रा बेरोकटोक बेहिचक जारी रख सकें।
तो मित्रों, जब तक सामाजिक बदलाव के ये सचेत सैनिक यहाँ या दुनिया में कहीं और यह मशाल जलाए रखेंगे, उम्मीद ज़िन्दा रहेगी और एक बेहतर भविष्य को इंगित करेगी।
आखिर में नियमित लिखने के वादे के साथ....और हां आपकी प्रतिक्रियाओं के इंतजार के बीच....
शीतल
You are here: Home > ब्लॉगिंग में वापसी > मशाल को जलाए रखें !
Sunday, March 13, 2011
मशाल को जलाए रखें !
Posted by Sheetal Rajput at 9:34 AM
Labels:
ब्लॉगिंग में वापसी
Social bookmark this post • View blog reactions
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
बदलाव संसार का नियम है जो सदियों से अनवरत जारी है....बस उम्मीदें मरनी नहीं चाहिए...
स्वागत हो, देर आये दुरूस्त आये
आपकी चिंता जायज है।
Aap Apni kalam ki Taqat dikhati rahiye. do sal bad sahi Aapki kalam uthi to sahi.
desh-videsh me uthapathak bahut hai, lekin har samasya ka hal nikaltahi hai. bhale hi der se ho.
-Ramkishor Agrawal, Journlist
Chhatarpur M.P.
Bahut hi achha laga ki aap phir se blog likh rahi hain.hamne aapke lekhni ko bahut hi miss kiya. aasha karte hain ab aap blog se door nahi honge.
Another set of sisters sites are Casino Action and Luxury on line casino. These casinos are cell pleasant and have in style games from Microgaming and NetEnt. Here are extra sites similar to Jackpot City that additionally accept players from Canada and New Zealand. This record consists of sites thecasinosource.com that have extra gaming suppliers, larger slots selections and cool promotions. New comers at River Belle get three one hundred pc match bonuses on prime of your first deposits.
Post a Comment