tag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post5220403925068128459..comments2023-04-02T13:42:03.245+05:30Comments on शीतल राजपूत: आओ, एक गीत गुनगुनाएँSheetal Rajputhttp://www.blogger.com/profile/05641823523711762858noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-83674694038469401202010-09-07T16:34:23.972+05:302010-09-07T16:34:23.972+05:30किसी भी गाने को खास आयु-वर्ग के श्रोताओं में बांधन...किसी भी गाने को खास आयु-वर्ग के श्रोताओं में बांधने की सोच अव्यवाहरिक है। एक दस साल के बच्चे को सन 50 का गाना पसंद हो सकता है । ऐसा खूब देखा भी गया है । शौर मचाते रीमिक्स तो बरसाती नाले हैं । विश्वास करना होगा अगर आज पचास साल पुराना गाना - ओ दुनिया के ऱखवाले . . 20 साल का नौजवान गुनगुनाता है तो आने वाले सौ साल बाद भी खैय्याम, नौशाद, तलत महमूद, मोहम्मद रफी, लता आशा जी को श्रद्धा से सुना जाता रहेगा । श्रद्धा शब्द इसलिए कि मधुर गीत-संगीत का जो दौर बीता है वह अब लौटकर नहीं आने वाला । इतनी उम्मीद भी नहीं है कि भविष्य में ऐेसे गीत और संगीत सृजित करने की किसी में कुव्वत बचेगी । शुक्र है गीत-संगीत का बेशुमार खजाना हमारे पास है जो सदियों तक हमारे स्टीरियो, मोबाइल या फिर आने वाली किसी नई तकनीक के माध्यम से हमें आनंदित करते रहेंगे।chander prakashhttps://www.blogger.com/profile/16586873289693565579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-79850096390250885602009-03-22T13:15:00.000+05:302009-03-22T13:15:00.000+05:30शीतल, हालांकि आपसे मुलाक़ात तो रोज़ ही होती है पर ...शीतल, हालांकि आपसे मुलाक़ात तो रोज़ ही होती है पर लगा कि अपनी बात इसी मंच पर रखी जाए तो बेहतर है।<BR/>दरअसल इस सबमें ग़लती हम सबकी है क्योंकि घरों में हम अपनी ज़िम्मेदारी केवल बच्चों को पढ़ा लिखा कर तथाकथित क़ाबिल बना देना समझते हैं....उनके सामाजिक और बौद्धिक सरोकार क्या हैं इससे हमें शायद कोई खास फ़र्क नहीं पड़ता है...ऐसी तमाम पिया हैं हमारे दफ़्तरों, घरों और आसपास ही नहीं बल्कि दुनिया भर में....दरअसल दिक्कत यह है कि हम अपनी पसंद से स्नेह करने की जगह दूसरे की पसंद को नापसंद करने लगे है.....भारतीय संगीत को खासकर पुराने फ़िल्मी संगीत को सुनना पता नहीं क्यों लज्जाजनक समझा जाने लगा है....मैं भी दफ़्तर में इसीलिए बदनाम हूं पर मैं इसे प्रशंसा समझता हूं जब कोई कहता है कि ये क्या वाहियात चीज़ सुन रहे हो....और मैं गर्व से भर जाता हूं और बस इतना कहता हूं कि वही जो आपके और मेरे बाप दादा सुनते थे ....अच्छा मुद्दा उठायामयंकhttps://www.blogger.com/profile/10753520280499089073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-53624257127679078422008-09-25T18:39:00.000+05:302008-09-25T18:39:00.000+05:30दिल्ली में हुए बम धमाको के बाद एक ऐसा नक्शा देश के...दिल्ली में हुए बम धमाको के बाद एक ऐसा नक्शा देश के सामने आया जो देश के नक्शे से भी बड़ा था । ये नक्शा है आजमगढ़ का । दिल्ली बम धमाको में जितने भी आतंकवादी का नाम सामने आया है उसमें आजमगढ़ का नाम सबसे बड़ा है । और यह भी खुलकर सामने आ रहा है कि दिल्ली बलास्ट में मुम्बई से गिरफ्तार पांच आतंकवादियो के तार २००५ से लेकर अबतक के धमाको से है । और इन धमाको के तार कही न कही आजमगढ़ से जुड़े रहे है । जो भी हो उत्तर प्रदेश के नक्शे पर आजमगढ़ काफी समृद्ध रहा है । कारण यह है कि यहां के लोग कुशल कारीगर रहे है । जिसकी झलक बनारसी साड़ियो में देखी जाती है । इसके अतिरिक्त यहां के लोगो के लिए समृध्दि की लहर अरब देश से भी आती रही है ।अरब देश में काम करनेवाले लगभग ४०० परिवार आजमगढ़ के रहे है । आजमगढ़ का महत्व विद्वान से लेकर मशहूर शायक तक रहे है । राहुल सास्कृतायन से लेकर मशहूर शायर कैफी आजमी तक का धर आजमगढ़ रहा है । लेकिन इस सब के बाबजूद आजमगढ़ की नयी फसल आतंक औऱ दहशत से तैयार हो रही है ।कारण जो भी हो लेकिन अभी जो स्थिति आजमगढ़ की है इसमें यही कहा जा सकता है कि इस आजमगढ़ में आतंकवाद की नई फसल तैयार हो रही है । दिल्ली बम धमाको में गिरफ्तार किये गये ये आतंकी इसके सबूत है ।<BR/>लेकिन सवाल यह है कि आजमगढ़ में आतंक की इस फसल का कारण क्या है ...इसके बीच यह भी हो सकता है कि इन नये चेहरो को आजमगढ़ में अबु सलेम का घर लुभा रहा है । कारण जो भी हो लेकिन आतंक के इस नये चेहरे ने आजमगढ़ की तस्वीर को बदल दिया है ।kumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-21484856933799707572008-09-24T21:44:00.000+05:302008-09-24T21:44:00.000+05:30your blog is the best seriously atleast you do not...your blog is the best seriously atleast you do not write things against indian...<BR/><BR/>keep it up ma'amhuman9.1https://www.blogger.com/profile/15618740306147380605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-80674512736599680382008-09-21T22:54:00.000+05:302008-09-21T22:54:00.000+05:30रजिया सुल्ताना का ये गाना हमें भी बहुत पसंद है।रजिया सुल्ताना का ये गाना हमें भी बहुत पसंद है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-76885114960944786102008-09-20T21:25:00.000+05:302008-09-20T21:25:00.000+05:30शीतल जी मुझे एक कार्यक्रम में विविध भारती में कब्...शीतल जी मुझे एक कार्यक्रम में विविध भारती में कब्बन मिर्जा का असिस्टेन्ट बनकर दो तीन दिन काम करने का मौक़ा मिला है । मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपनी इस प्रिय आवाज़ वाली शख्सियत के सामने आने का मौक़ा मिलेगा । <BR/>कब्बन मिर्जा के बारे में विस्तार से लिखा है रेडियोवाणी पर । <A HREF="http://radiovani.blogspot.com/search/label/kabban%20mirza" REL="nofollow">यहां देखिए । </A> यहां कब्बन साहब की तस्वीरें भी हैं । बाक़ी तो हमारे मित्र सागर नाहर लिख ही चुके हैं । <BR/>यूनुस खानYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-63034145806291948042008-09-20T20:47:00.000+05:302008-09-20T20:47:00.000+05:30संगीत ही जीवन है..कैसे कोई इससे बिना झंकृत हुए रह ...संगीत ही जीवन है..कैसे कोई इससे बिना झंकृत हुए रह सकता है...समझ समझ का फेर है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-80664227286585413472008-09-20T20:41:00.000+05:302008-09-20T20:41:00.000+05:30पिया हमारे यहाँ भी होती है, कभी किसी पिया उसका इन...पिया हमारे यहाँ भी होती है, कभी किसी पिया उसका इन मधुर गीतों से सरदर्द होने लगता है। कबी किसी पिया को ये गाने सुनकर नींद आने लगती है। <BR/>पिआओं से मैं अक्सर पूछता हूँ आपके जमाने में साजन फिल्म आई थी उसके गीत बहुत प्रसिद्ध हुए थे, हम आपके हैं कौन, जान तेरे नाम आदि आदि ... उनके गीत क्यों नहीं बजते आज और सत्तर साल पुराने गीत आज भी लोगों को क्यों भाते हैं?<BR/> तब पियाओं के पास कोई जवाब नहीं होता, होता है बस मुँह बिचकाना और पुराने गितों को कोसना।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-26150918327295222292008-09-20T20:33:00.000+05:302008-09-20T20:33:00.000+05:30शीतलजीआपकी रुचियाँ जान कर बहुत खुशी हुई। बिल्कुल आ...शीतलजी<BR/>आपकी रुचियाँ जान कर बहुत खुशी हुई। बिल्कुल आपके जैसा मेरा हाल है। जब मैं आठ दस साल का रहा होऊंगा तब से के एल सहगल और हेमंत दा मुझे भाने लगे। मुकेशजी को तो भगवान समझने लगा था मैं। <BR/>धीरे धीरे हिन्दी के सभी गायकों को सुना। दीवानगी बहुत बढ़ती गई। आज भी यही हाल है कि दिन के २०-२५ गानें तो कम से कम मैं सुनता ही होऊंगा। कम से कम १० हजार गानों का संग्रह भी बना लिया। <BR/>फिर भी मन नहीं बरा तो ब्लॉग भी बनाया और दुर्लभ गीत लोगों को सुनाये। एक गीत आपके लिये प्रस्तुत है<BR/><I><A HREF="http://mahaphil.blogspot.com/2007/09/blog-post_26.html" REL="nofollow">गाना जो आप बार बार सुनना चाहेंगे। </A></I><BR/>बाद में विविध भारती के यूनुस खान और इन्दौर के संजय पटेलजी के साथ मिल कर हमने श्रोता बिरादरी भी बनाई जिस पर इन दिनों लता जी के <A HREF="http://shrota.blogspot.com" REL="nofollow">८० वें जन्म दिन के उपलक्ष्य में स्वर उत्सव </A>चल रहा है और रोजाना एक संगीतकार का दुर्लभ गीत सुनाया जाता है। <BR/>आपका स्वागत है हमारी महफिल और श्रोता बिरादरी में।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-74540796374288523722008-09-20T16:37:00.000+05:302008-09-20T16:37:00.000+05:30संगीत मुझे हर रूप-रंग और विधा में भाता है। और मैं ...संगीत मुझे हर रूप-रंग और विधा में भाता है। और मैं जहाँ भी सफ़र करती हूँ, देश के भीतर या बाहर, मेरी ख़रीदारी के एक बड़े हिस्से में उस इलाक़े का संगीत शामिल होता है! मेरे लिए संगीत जीवन का सार है, प्रेरित करने के साथ ही सुकून देने वाली सबसे बड़ी ताक़त। <BR/>ताज्जुब हुआ जानकर। हर क्षेत्र में विशेषज्ञता।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-71215303479178302492008-09-20T15:48:00.000+05:302008-09-20T15:48:00.000+05:30इलेक्ट्रानिक चैनल से जुड़ा कोई वयक्ति जब मेलोडी क...इलेक्ट्रानिक चैनल से जुड़ा कोई वयक्ति जब मेलोडी की बात करता है तो सचमुच बहुत अच्छा लगता है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-28135332694382810192008-09-20T14:52:00.000+05:302008-09-20T14:52:00.000+05:30saat svaron ke andar bahaney vaali baat koi bhii k...saat svaron ke andar bahaney vaali baat koi bhii khaarij kaisey kar saktaa hai!!!पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6331051687285497300.post-75552528931901360692008-09-20T12:14:00.000+05:302008-09-20T12:14:00.000+05:30कब्बन मिर्जा अपने गले के कैंसर से बड़ी लाचारी की अ...कब्बन मिर्जा अपने गले के कैंसर से बड़ी लाचारी की अवस्था में इस दुनिया से अलविदा हुए थे .....ये गाना मेरे मोबाइल में भी है ...ओर ऐसे लोगो को संगीत की समझ नही है जो इसे बेसुरा कहते है.....यही गीत अगर रीमिक्स होकर बीच में दो चार ...लाइने जोड़ कर आएगा तो ये लोग इसे अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लेगे.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com